कुछ बातें या बयान अपने लिए या अपनों के लिए होते हैं। वही बयान अगर सार्वजनिक हो जाएं तो मुसीबत बन जाते हैं। सबसे पहले हम बात करते हैं मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की। जी हां इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लोकसभा चुनावों के लिए चुनाव मैदान में हैं । भाजपा पिछले एक माह से दिग्विजय को मात देने के लिए मजबूत प्रत्याशी की तलाश कर रही थी। सबसे पहले नरेंद्र सिंह तोमर का नाम चला उन्होंने मना कर दिया। उसके बाद उमा भारती और राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नामों पर भी चर्चा हुई लेकिन दोनों ने सहमति नहीं जताई। थक हारकर भाजपा ऐसे किसी हिन्दूवादी चेहरे को भोपाल सीट से चुनाव लड़ाने की सोचने लगी। आखिरकार पार्टी ने 17 अप्रैल से आनन-फानन में साध्वी प्रज्ञा को भाजपा में शामिल कर भोपाल से टिकट भी दे दिया। अब पार्टी को लगने लगा कि साध्वी दिग्विजय को टक्कर दे सकती है।  

चुनाव के माहौल में उल्टा पड़ा दांव

भोपाल में गुरुवार को एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने जल्दबाजी में कहें या भावनाओं में बहकर विवादित बयान दे ही डाला। मुंबई हमले के शहीद हेमंत करकरे पर की गई विवादित टिप्पणी प्रज्ञा के लिए मुसीबत बन गई। हेमंत करकरे पर दिए गए बयान की सभी राजनीतिक दलों के साथ तमाम संगठनों ने  निंदा की गई। मामले ने जब तूल पकड़ा तो भाजपा की भी मुश्किल बढ़ गई। हालांकि पार्टी ने साध्वी के इस बयान से अपने आपको अलग करते हुए इसे निजी बयान बताया। लेकिन जब तक भाजपा की किरकिरी हो चुकी थी।

माफी और चुनाव आयोग का नोटिस

साध्वी के बयान की पूरे देश में निंदा होने लगी। आखिरकार शुक्रवार शाम होते-होते प्रज्ञा ने दिए गए अपने बयान पर माफी मांग ली। मध्यप्रदेश चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए साध्वी को नोटिस जारी किया है । शनिवार को जिला चुनाव अधिकारी और कलेक्टर ने नोटिस जारी करके साध्वी प्रज्ञा को आचार संहिता के तहत एक दिन के भीतर हेमंत करकरे पर उनकी टिप्पणी के लिए स्पष्टीकरण देने को कहा है ।