नई दिल्ली: (इंडिया टाइम 24 न्यूज़ से ज्योति मनराल की रिपोर्ट) हमारे देश में प्राचीन काल से ही पुरुष प्रधानता को अधिक महत्व दिया जाता रहा है | भले ही आज महिलाएं सशक्त है, स्वतंत्र है, परन्तु महिला और पुरुष के बीच सामाजिक असमानता आज भी मौजूद है| वक़्त बदलने के साथ समाज की रूढ़ीवादी सोच में बदलाव ज़रूर आया है, लेकिन समाज में फैली असमानता और अराजकता की जड़े आज भी मज़बूत हैं | भारत जैसे देश में जहाँ महिलाओं को देवी का दर्जा दिया जाता है, परन्तु वास्तविकता इसके विपरीत है | साल 2002 का गुजरात दंगा तो आपको ज़रूर याद होगा, जब दंगाइयों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी, इंसानियत को कर दिया था शर्मसार| साल 2002 में गुजरात के रुधकपुर गाँव में हुई यह घटना अब तक के सबसे भयावह दंगों में शुमार है| इसी दंगे का शिकार हुई थी बिलकिस बानो, पूरा नाम है बिलकिस याकूब रसूल| 27 फरवरी 2002 को शुरू हुई इस आत्मघाती हमले की आग कई महीनों तक शांत नहीं हुई थी जिसमें कई मुस्लिम समुदाय तबाह हो गए थे | कितने घर बर्बाद हो गए थे | 31 मार्च 2002 का वह दिन जब बिलकिस बानो अपने परिवार के 17 सदस्यों के साथ इसी दंगे से बचने के लिए एक ट्रक से जा रही थी, तभी सामने से हथियार और तलवार लेकर आये दंगाइयों ने उनपर आत्मघाती हमला बोल दिया, साथ ही क्रूरतापूर्वक बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया| उस समय बिलकिस की उम्र केवल 21 वर्ष थी और वह 5 महीने की गर्भवती भी थी |आपको बता दें की दंगाइयों ने उसकी नज़रों के सामने परिवार के 14 सदस्यों तथा बिलकिस की 2 साल की बेटी को भी मौत के घाट उतार दिया | बिलकिस ने किसी तरह खुद को बचाया और न्याय के लिए एक लम्बी लड़ाई लड़ी | 17 वर्षों तक चली इस लम्बी लड़ाई में बिलकिस ने कई उतार-चढ़ावों का सामना किया |उन्होंने आरोपियों के खिलाफ स्थानीय पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया, लेकिन पुलिस ने सबूतों के अभाव में मामला खारिज कर दिया | जिसके बाद बिलकिस मानवाधिकार आयोग पहुंची और सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगायी | यह मामला सीबीआई के पास पहुंचा और सीबीआई ने चार्जशीट में 18 लोगों को दोषी पाया | वर्ष 2008 में मुंबई कोर्ट ने 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई | बॉम्बे हाईकोर्ट ने साल 2017 में 11 आरोपियों की उम्रकैद की सजा को बरक़रार रखा, साथ ही बाकी के 7 आरोपियों को बरी करने का आदेश भी ठुकरा दिया, जिसमें 2 डॉक्टरऔर पुलिसकर्मी शामिल थे, जिनपर सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप था |
“एक कहावत है न की भगवान के घर देर हैं, लेकिन अंधेर नहीं ” इस कहावत को सार्थक करती है यह घटना |
अभी पूर्ण रूप से न्याय मिलना बाकी था और इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना एतिहासिक फैसला सुनाते हुए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कारवाई की हैं |
सुप्रीम कोर्ट ने सबूत मिटाने के आरोप में आईपीएस आर-एस भगोरा को दो पद डेमोट करने की राज्य सरकार की सिफारिश को मंज़ूर कर लिया है और मामले में दोषी पाए गए अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कारवाई करने के लिए राज्य सरकार को आदेश भी दिया है |
23/04/2019 का दिन न्याय के इतिहास में सबसे यादगार दिन रहेगा | सुप्रीमकोर्ट ने राज्य सरकार से पीड़िता बिलकिस बानो को 50 लाख मुआवज़ा , सरकारी नौकरी और घर देने का आदेश दिया है|बिलकिस बानो देश और समाज की सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं और साथ ही महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण भी पेश किया है..