नई दिल्ली: (इंडिया टाइम 24 न्यूज़ से ज्योति मनराल की रिपोर्ट) अगर हम अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात करे तो वह आज भी पूर्णरूप से देश में मौजूद नहीं है| लोकतंत्र में जनता को सत्ता प्राप्त है ऐसा कहना शायद अब बेमानी होगा क्यूंकि आज भी हमारे देश में निष्पक्षता और एक स्वतंत्र विचारधारा शायद मौजूद नहीं है| लोकतंत्र का स्तम्भ कहे जाने वाली मीडिया जिसके पास सारे अधिकार हैं कि वह अपना कार्य करते हुए अपना कर्त्तव्य जनता के लिए निभाए लेकिन शायद अब क्रूर राजनीति के चलते ऐसा असंभव सा हो चला हैं| पोस्ट कार्ड मीडिया फाउंडर और सीनियर पत्रकार महेश विक्रम हेगड़े को आज सुबह कर्नाटक पुलिस ने एक प्राइवेट फंक्शन के दौरान गिरफ़्तार कर लिया और सबसे अचंभे की बात यही है कि सिर्फ उनका गुनाह यह था कि वो एक पत्रकार वाली भूमिका निभा रहे थे| एक पत्रकार जिसका कार्य है स्पष्ट जानकारी जनता तक पहुँचाना और देश की जनता के हित में कार्य करते हुए अपनी भूमिका निभाना, यह अधिकार मीडिया जगत को लोकतंत्र ने ही दिया हैं| लेकिन शायद वोटबैंक की राजनीति के चलते हमारे देश के नेताओं ने बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए सही और गलत का फर्क समझना छोड़ दिया है| चुनाव एक ज़रूरी प्रक्रिया है आखिर लोकतंत्र का आधार और राजनैतिक प्रष्टभूमि इसी से तय होती है और साथ ही इस प्रक्रिया में स्वच्छ विचारधारा का होना भी ज़रूरी है| लेकिन मौजूदा हालातों को देख अब ऐसा प्रतीत नहीं होता| अब आपको बता दें कि महेश हेगड़े की गिरफ्तारी सिर्फ इस कारण से हुई कि उन्होंने गाँधी परिवार के इतिहास पर अपने स्पष्ट और स्वतंत्र विचार व्यक्त किये थे और शायद राष्ट्रवादी होते हुए कुछ ऐसी बातें भी अवश्य बताई होंगी जो मूल रूप से सही हैं|जनता तक सही जानकारी पहुंचा कर उन्होंने अपना कार्य ही तो किया था|लेकिन कुछ तुच्छ मानसिक विचारधारा वाले पार्टी के नेताओं ने इसे भाजपा समर्थन समझ उन्हें कांग्रेस विरोधी समझ लिया और जनता के लिए कार्य करते एक सीनियर पत्रकार के कार्यों को चुनावी रणनीति से जोड़ दिया| सबसे हैरानी की बात तो यही है कि कर्नाटक पुलिस प्रशासन और सरकार विपक्षी दलों की इस विचारधारा को पूरा सहयोग दे रही है| क्या वाकई कानून अँधा हो गया हैं? चुनाव शायद अब एकपक्षिय विचारधारा तक ही सीमित रह गया है|