उच्चतम न्यायालय में जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और काॅलेजियम एक बार फिर आमने-सामने हैं । मालूम हो कि काॅलेजियम ने शीर्ष अदालत में नियुक्ति के लिए जिन दो जजों की सिफारिश की थी उन पर केंद्र सरकार ने आपत्ति दर्ज कराई थी। गुरुवार को काॅलेजियम ने केंद्र सरकार की आपत्तियों को खारिज कर दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट काॅलेजियम की ओर से दो नए नामों की सिफारिश भी भेजी गई है। दरअसल पिछले माह केंद्र सरकार ने पिछले दिनों जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एएस बोपन्ना के नाम की कॉलेजियम की सिफारिश लौटा दी थी। जिसके बाद एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट ने दोनों नाम केंद्र को भेजे हैं। कॉलेजियम ने कहा है कि उनकी कार्यक्षमता, आचरण और निष्ठा के बारे में कुछ भी प्रतिकूल नहीं मिला है।
ये है कॉलेजियम सिस्टम—
कॉलेजियम सिस्टम का भारत के संविधान में कोई जिक्र नहीं है। यह सिस्टम 28 अक्टूबर 1998 को 3 जजों के मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के जरिए प्रभाव में आया था। कॉलेजियम सिस्टम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों का एक फोरम जजों की नियुक्ति और तबादले की सिफारिश करता है। कॉलेजियम की सिफारिश मानना सरकार के लिए जरूरी होता है ।