भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दर्दनाक घटनाओं में से एक जलियांवाला बाग हत्याकांड को आज पूरे 100 वर्ष हो गए हैं। आज पूरा राष्ट्र जलियांवाला बाग नरसंहार में शहीद हुए वीर जवानों को याद कर रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमर वीर सिपाहियों को याद कर नमन किया। आज से 100 साल पहले 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन हुए इस नरसंहार ने भारत के साथ दुनिया को भी झकझोर कर रख दिया था। यह आज दुनिया का सबसे जघन्यतम नरसंहार माना जाता है। अभी हाल ही में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने जलियांवाला बाग हत्याकांड को भारतीय इतिहास में एक शर्मनाक घटना बताया। हालांकि पीएम टेरेसा ने माफी नहीं मांगी सिर्फ अफसोस जताया था। इस नरसंहार में ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक 379 लोग मारे गए थे जबकि 1200 से अधिक लोग घायल हुए थे। आइए जान लेते हैं उस दिन क्या हुआ था। आजाद भारत का सपना देखने वाले हजारों लोग अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक बैठक करने के लिए जमा हुए  थे। इसकी जानकारी फिरंगी शासकों को लग गई और उन्होंने भारतीय लोगों को सबक सिखाने की सोची। इसके बाद जनरल डायर के नेतृत्व में सैकड़ों अंग्रेज सिपाहियों ने इस पार्क को चारों ओर से घेर लिया। इस पार्क से बाहर निकलने के लिए एक संकरा सा रास्ता था इसे भी अंग्रेज सिपाहियों ने बंद कर दिया था। वहां मौजूद भारतीय लोग जब तक कुछ समझ पाते उससे पहले ही डायर ने निर्दोष और निहत्थे भारतीय लोगों पर गोलियों की बरसात करा दी । गोलियों की बौछार से पार्क में अफरातफरी मच गई, लोग जान बचाने के लिए भागने लगे । सैकड़ों लोग कुंए में कूद गए, कुंए में कूदने से उनकी जान तो नहीं बची लेकिन वो फिरंगियों की गोली से शहीद नहीं हुए । इस घटना की आलोचना पूरी दुनिया में की गई। आज उस घटना को पूरे 100 साल पूरे हो गए हैं। जब-जब जलियांवाला बाग हत्याकांड मानव इतिहास का जिक्र होगा तब-तब मानव के वहशी बन जाने की घटना याद आएगी…