(इंडिया टाइम 24 न्यूज से शम्भू नाथ गौतम की एक्सलूसिव रिपोर्ट)

नई दिल्ली। धीरे-धीरे लोकसभा चुनाव अपने छठे चरण के करीब आ गया है। ऐसे में एनडीए के साथ महागठबंधन यानी (तीसरा मोर्चा) भी केंद्र में सरकार के गठन को लेकर एक बार फिर जाग गया है । अब तीसरे मोर्चे की ओर से ये दावा किया जा रहा है कि इस बार एनडीए को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा। ऐसे में नई सरकार के गठन में उनकी भूमिका अहम होगी। कुछ समय से बिखरा महागठबंधन अब अपने नेता को लेकर रणनीति बनाने में भी जुट गया है। दरअसल, बीजेपी और कांग्रेस से अलग तीसरे मोर्चे के गठन की भी चर्चा हो रही है। इस संबंध में पिछले दिनों तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन से मुलाकात की थी। इसके ठीक बाद दिल्ली में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। इस बैठक में 21 मई को विपक्षी दलों की बैठक बुलाने की योजना पर चर्चा की गई। जिससे कि चुनाव बाद गठबंधन की रूपरेखा तय हो सके। लोकसभा चुनाव के नतीजे 23 मई को आएंगे। वहीं बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चन्द्रबाबू नायडू ने कहा कि गैर बीजेपी सरकार बनाने में तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी की बड़ी भूमिका होगी। चन्द्रबाबू नायडू के इस बयान को विपक्षी ताकतों को एक साथ करने की नजर से देखा जा रहा है ।दूसरी ओर तीसरे मोर्चे ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव और जगन रेड्डी से भी यूपीए के लिए समर्थन तैयारी शुरू कर दी है। वहीं पटना में एक जेडीयू नेता ग़ुलाम रसूल बलियावी ने कहा है कि इस बार के चुनाव में पीएम मोदी को बहुमत नहीं मिल रहा है, इसलिए नीतीश कुमार को पीएम उम्मीदवार घोषित किया जाना चाहिए। तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि मैं महागठबंधन वालों से पूछना चाहता हूं कि जनता ने यदि कमल का बटन दबाया तो नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे। लेकिन बुआ, भतीजा, राहुल बाबा बताएं कि उनका नेता कौन है। भाजपा शुरू से ही महागठबंधन में कौन होगा नेता का सवाल उठाती रही है।ये पहला मौका नहीं है जब कि तीसरा मोर्चा मुखर हुआ। इससे पहले भी कई बार महागठबंधन जोड़तोड़ तो करता है, लेकिन नेता चुनने में ही हर बार टूट जाता है। इस बार देखिए ये कितनी दूर तक जा पाता है।