बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
वंश वंश करते मानव तुम, वंश बेल को काट रहे हो
एक फल की चाहत में तुम, पूरा बाग उजाड़ रहे हो ।
फूल रहे ना धरती पर तो, फल तुम कैसे पाओगे ?
अंश काटकर अपना तुम, कैसे वंश बढ़ाओगे ?
उम्र की ढलती शाम में जब, बेटा खड़ा न होगा साथ
याद करोगे अंश का अपने, खुद मारा जिसको अपने हाथ ।
न कुचलो नन्ही कलियों को, उनको भी जग में आने दो
बनकर फूल खिलेंगी एक दिन, जीवन उनको पाने दो ।।
                               डाॅ.सरोज श्रीवास्तव