लोकसभा सभा चुनाव की आखिरी जंग जैसे मोदी और ममता बनर्जी को लेकर लड़ी जा रही है। दोनों ओर से एक दूसरे पर हो रहे ताबतोड़ हमले इन दिनों राजनीतिक गलियारों में खूब सुर्खियां बने हुए हैं । इस जंग का साक्षी बना है बंगाल। चुनाव के आखिरी दौर में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अपनी वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। कभी पीएम मोदी की ओर से वार होता तो कभी ममता बनर्जी की ओर से पलटवार किया जा रहा है। मोदी और अमित शाह की चुनौतियों का ममता बनर्जी भी पूरे दमखम के साथ मुकाबला कर रहीं हैं। दूसरी ओर पीएम मोदी के आगे नतमस्तक समूचा विपक्ष को भी मोदी-ममता का टकराव खूब भाने लगा है। मायावती से लेकर राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने ममता का समर्थन किया है। ऐसे में चुनाव खत्म होते-होते एक बार फिर वही स्थिति पैदा हो गई है जो चुनाव से पहले थी, जहां ममता बनर्जी के पीछे पूरा विपक्ष खड़ा था और वह अगुवाई कर रही थीं।सही मायने में ममता इस समय जैसे विपक्षी दलों की नेता बन गई है। ममता केंद्र पर हमलावर हुईं तो अन्य विपक्षी पार्टियां भी उनके साथ आ गईं, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, केसीआर, चंद्रबाबू नायडू जैसे नेताओं ने उनके समर्थन में ट्वीट किया, तो वहीं कांग्रेस और मायावती ने तो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कह दिया कि वह इस मुद्दे पर ममता बनर्जी के साथ खड़ी हैं। विपक्ष जब ममता के साथ आया, तो उन्होंने भी ट्वीट कर हर किसी का धन्यवाद दिया। चुनाव नतीजों से पहले विपक्ष की ये एकता भारतीय जनता पार्टी की चिंता बढ़ा सकती है, तो वहीं ममता बनर्जी को भी विपक्षी नेताओं की प्रमुख रेस में आगे खड़ा कर सकती हैं।