नई दिल्ली। इंडिया टाइम 24 न्यूज से शम्भू नाथ गौतम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन लोकसभा चुनावों में राष्ट्रवाद की ऐसी लहर पैदा कर दी कि कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष ध्वस्त हो गया। चुनावों में मोदी और अमित शाह ने कुशल रणनीति बनाई कि भाजपा को शिखर तक ले गई। इन चुनावों में एक बार फिर भाजपा ने सिद्ध कर दिया कि देश में हिंदुत्व के एजेंडे पर उसकी ही बादशाहत है। यह चुनाव मोदी के नाम पर ही लड़ा गया, लेकिन प्रचार के पीछे अमित शाह का ही दिमाग रहा। प्रचार के दौरान हिंदू राष्ट्रवाद, जैसे बालाकोट एयर स्ट्राइक, मोदी है तो मुमकिन है, हम पाकिस्तान को घुसकर मारेंगे, देश के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे जैसे मुददे मोदी के लिए सही फैसला रहा। राष्ट्रवाद ही देश के वोटरों को सबसे अधिक आकर्षित करता रहा। मोदी के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नकारात्मक प्रचार और अमार्यादित भाषा भी वोटरों के बीच मोदी के लिए सहानुभूति पैदा करती रही। कांग्रेस के खराब प्रदर्शन से एक बार फिर राहुल के नेतृत्व पर सवाल उठेगा। हालांकि, उन्होंने अपनी पार्टी के लिए काफी मेहनत की, लेकिन एक वक्ता के तौर पर उनका मोदी से कोई मुकाबला नहीं है। गठबंधन पर उन्होंने जो फैसले लिए उससे पार्टी को फायदे की जगह नुकसान ही हुआ। पश्चिम बंगाल में मोदी, अमित शाह व ममता बनर्जी के बीच लड़ाई काफी कड़वाहट भरी हो गई थी। शाह पिछले पांच सालों से कह रहे थे कि वे बंगाल में भाजपा को दृढ़ता से स्थापित करेंगे। स्पष्ट है कि भाजपा को उसके काम का फायदा मिला। राज्य में ममता की पार्टी का सफाया तो नहीं हुआ, लेकिन उनकी सर्वोच्चता को चुनौती तो मिल ही गई। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने साबित कर दिया है कि हिंदुत्व के एजेंडे के साथ एक राष्ट्रीय पार्टी होने की वह ही अकेली दावेदार है ।