नई दिल्ली।( इंडिया टाइम 24 न्यूज से शम्भू नाथ गौतम) साल 1984 के सिख दंगों का दंश झेल रही कांग्रेस इस बार के लोकसभा चुनावों में पूरी तरह उभर भी नहीं पाई थी कि अब एक फिर से मुश्किल में आ गई है। इस बार कांग्रेस को जख्म इन चुनावों में ‘गाॅड फादर’ बने सैम पित्रौदा ने दिया है। पित्रौदा ने दो दिन पहले 84 के सिख दंगों को लेकर दिया बयान ‘जो हुआ सो हुआ’, कांग्रेस की गले की फांस बन चुका है। अब कांग्रेस की एक बार फिर से किरकिरी हो रही है। पार्टी का दबाव पड़ने पर सैम ने सारा दोष हिंदी पर मढ़ दिया। शुक्रवार को शिमला में उन्होंने कहा है कि मेरी हिंदी सही न होने की वजह से 84 दंगों को लेकर बोलना चाहता था ‘जो हुआ बुरा हुआ’ लेकिन ‘जो हुआ सो हुआ’ बोल गया था। हालांकि ये उनकी बात गले नहीं उतरती है। शुक्रवार को हरियाणा के रोहतक में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पित्रौदा का बयान कांग्रेस के चरित्र को दिखाता है। मोदी ने कहा कि ये शब्द कांग्रेस की मंशा बताते हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के ही नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह आदि ने पित्रौदा के बयान की कडी आलोचना की है। बचे दो चरण के चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस के रणनीतकार सैम के बयान को मुददा बना लिया है। मामला बढ़ने पर अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी पित्रौदा से माफी मांगने को कहा है। राहुल ने कहा है कि सिख दंगों का दर्द कभी भूला नहीं जा सकता। मेरी मां सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी माफी मांग चुके हैं। सैम पित्रोदा ने दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था, जो हुआ सो हुआ, आपने 5 सालों में क्या किया।
इन चुनावों में कांग्रेस के हैं रणनीतिकार, अब अलग-थलग पड़े
दो दिन पहले तक कांग्रेस पार्टी में इस लोकसभा चुनावों में पर्दे के पीछे सबसे ताकतवर भूमिका निभा रहे थे सैम पित्रौदा। लेकिन 84 सिख दंगों को लेकर दिए बयान ने कांग्रेस पार्टी को परेशान कर दिया साथ में वो भी विवादों में आ गए। इस बयान के बाद उनकी पार्टी में उनकी छवि भी खराब हुई है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने उनके बयान की कड़ी निंदा की है। यही नहीं पित्रौदा पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं। सैम के बयान, जो हुआ सो हुआ ने उनको कहां ला दिया है।