आज उत्तर प्रदेश के जनपद मैनपुरी में ऐतिहासिक मिलन की बात करने से पहले आइए बशीर बद्र का शेर भी समझ लिया जाए। ‘दुश्मनी करो तो जमकर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे, जब हम कभी दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों। जी हां यही सार है आज कीे राजनीति के घटनाक्रम का। अभी कुछ दिनों पहले तक किसी ने नहीं सोचा होगा कि कभी मुलायम सिंह यादव और मायावती एक मंच पर आएंगे, अगर मंच पर आएंगे तो दोनों एक दूसरे सेे किस प्रकार से मिलेंगे और क्या-क्या बातें याद आएंगीं। बोलने की शुरुआत कौन करेगा और दोनों के चेहरों पर क्या हाव-भाव होंगे। आइए अब आपको ले चलते हैं मैनपुरी। मौका था सपा और बसपा की संयुक्त रैली का। मैनपुरी से लोकसभा चुनावों में सपा से मुलायम सिंह यादव खड़े हुए हैं। इसी को लेकर बसपा प्रमुख मायावती साझा रैली करने आईं थी। कभी एक दूसरे को फूटी आंख न सुहाने वाले मुलायम सिंह और मायावती शुक्रवार को पुरानी बातों को भूलकर एक दूसरे की जमकर तारीफ करते दिखे।

मंच पर दोनों ने एक दूसरे की खूब तारीफ की, मुलायम काे पिछड़ाें का नेता बताया

रैली में बसपा प्रमुख मायावती ने मुलायम सिंह यादव की जमकर तारीफ की। मायावती ने मुलायम सिंह को पिछड़ों का असली नेता बताया। बसपा प्रमुख ने कहा कि 2 जून 1995 के गेस्ट हाउस कांड को भुलाकर हम एक साथ आए हैं, कभी.कभी कठिन फैसले लेने पड़ते हैं । दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि वह आखिरी चुनाव लड़ रहे हैं, इसके साथ ही वहां आए लोगों से अपील करते हुए कहा आप लोग हमेशा मायावती जी का सम्मान करना। इससे पहले जब मंच पर मुलायम सिंह यादव को जब पानी दिया गया तो उन्होंने लोगों से भी यह पूछा कि क्या मायावती को पानी दिया गया है कि नहीं। इसके बाद जब मुलायम सिंह यादव भाषण देने के लिए खड़े हुए तो बसपा सुप्रीमो उनके सम्मान में खड़ी हो गईं। अपने भाषण में मुलायम सिंह यादव ने कहा कि वह इस बार उनको ज्यादा से ज्यादा वोटों से जिताएं। मुलायम सिंह ने कहा कि वह मायावती जी का स्वागत करते हैं, मायावती ने हमेशा हमारा साथ दिया है हमें जिता देना मेरे साथियों को जिता देना। मालूम हो कि दो जून 1995 के गेस्ट हाउस कांड के बाद सपा बसपा के रास्ते अलग हो गए थे। आज एक बार फिर दोनों एक मंच पर दिखे तो सियासत में हलचल दिखाई दी। अब देखना होगा दोनों का साथ कितना लंबा चलता है। लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद दोनों दलों की असली परीक्षा होगी कि किसको कितना फायदा रहा, किसको कितना नुकसान। जब तक इंतजार ही कर लिया जाए।