‘जब हमने सुना कि पड़ोस के घरों में भीड़ ने हमला कर दिया है तो हम लोग एक अलामारी में कपड़ों के पीछे छुप गए। लेकिन दंगाई घर में घुसे और मेरे भाई को घसीट ले गए। वह उनसे प्रार्थना करता रहा कि मैं आपका भाई हूं, मुझे छोड़ दो….। दो दिन तक उसकी तलाश के बाद हम गुरुतेग बहादुर अस्पताल आए और यहां हमें उसका शव मिला।’ यह कहते हुए मृतक मोहम्मद मुशर्रफ की बहन फरहीन रोने लगीं। चांद बाग की रहने वालीं फरहीन की तलाश तो गुरुवार को भाई का शव मिलने के साथ पूरी हो गई, लेकिन अभी कई ऐसे परिवार हैं जो अपनों की तलाश में यहां से वहां भटक रहे हैं। रविवार को दंगे भड़कने के बाद से कई लोग गायब हैं। सांप्रदायिक उन्माद वाले इलाकों में मलबे और नाले से शव मिल रहे हैं। मृतकों की संख्या गुरुवार रात तक 38 हो गई।