नई दिल्ली, 8 सितंबर 2025।
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में दर्ज बहुचर्चित मल्टी-करोड़ रियल एस्टेट घोटाले के मामले की सुनवाई साकेत कोर्ट में हुई। यह मामला वर्ष 2022 में हुई एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें आरोपियों पर कई निवेशकों से पैसे लेकर उन्हें फ्लैट्स और कमर्शियल प्रॉपर्टीज़ न देने का आरोप है।
सुनवाई में अदालत के समक्ष राज्य की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक जुनैद खान मौजूद रहे। वहीं, शिकायतकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मोहम्मद फ़राज, पूनम सिंह, भानु गुलाटी और अन्य वकील पेश हुए। आरोपी सुमित खनेजा की ओर से अधिवक्ता अभय गुप्ता ने पैरवी की।
अदालत ने पाया कि जांच अधिकारी (IO) अनुपस्थित थे। इस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि उन्हें अगली सुनवाई की तारीख 09 सितंबर 2025 को अनिवार्य रूप से पेश होना होगा और अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। तब तक के लिए अंतरिम आदेश जारी रहेंगे।
आरोपियों में अमित खनेजा, सुमित खनेजा और एस.के. अरोड़ा शामिल हैं, साथ ही अन्य सह-आरोपी भी हैं, जिन पर कई घोटाले रचने का आरोप है। निवेशकों का कहना है कि कंपनी ने अमृतसर, जालंधर, भोपाल और देहरादून सहित कई राज्यों में आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं के नाम पर पैसा इकट्ठा किया, लेकिन खरीदारों को अधर में छोड़कर धोखा दे दिया।
दिल्ली, भोपाल, देहरादून और अन्य जगहों पर निजी निवेशकों, बैंकों और सरकारी संस्थानों से जुड़े 20 से अधिक शिकायतें दर्ज हैं, जिनमें करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं का मामला सामने आया है। भोपाल, देहरादून और अमृतसर में भी कई अन्य एफआईआर दर्ज हैं।
शिकायतकर्ताओं में प्रो. सुबा सिंह, कर्नल मेहर सिंह, तेजिंदर सिंह, बलजिंदर सिंह चीमा, विनय दीवान, सौरभ भंडारी, उमेश बजाज, पुनीत खोसला और इरफ़ान पठान जैसे प्रमुख लोग शामिल हैं, जिन्होंने दावा किया है कि उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई आरोपियों के हाथों गंवाई है।
इस मुद्दे पर बोलते हुए निवेशक इरफ़ान पठान ने कहा, “रियल एस्टेट सेक्टर में ऐसे मामले निवेशकों का विश्वास कमजोर करते हैं। जो लोग निवेशकों को धोखा देते हैं, उन्हें ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।”
शिकायतकर्ता उमेश बजाज ने कहा, “यह केवल पैसे का मामला नहीं है बल्कि भरोसे का सवाल है। हम वर्षों से न्याय का इंतज़ार कर रहे हैं और अपराधियों को बचकर जाने नहीं दिया जा सकता।”
एक अन्य शिकायतकर्ता विनय दीवान ने चेतावनी दी, “यह किसी एक निवेशक को ठगने का मामला नहीं है — यह एक मज़बूत संदेश देने का मामला है कि जो भी लोगों की मेहनत की कमाई का शोषण करेगा, उसे कानून की पूरी सख्ती का सामना करना पड़ेगा।”